जीना और जीतना
जीना और जीतना


जीना तो कभी भी आसान नहीं था ।
जीने और जीतने में हमेशा फर्क था ।
जीतने के लिए ही खेलती है दुनिया
कौन कहता है इस कोशिश को बुरा?
पर जिसे नहीं मिला जीत का तमगा
क्या वह सचमुच सब कुछ हार बैठा ?
सुनो ध्यान से ऐसा कभी भी नहीं होता
यदि हारने वाले ने भी जम के खेल खेला।
खेल खत्म होने पर जब नतीजा आएगा।
हारो या जीतो, तुम्हारा खेल आंका जाएगा।
हारना-जीतना उम्र भर लगा ही रहता है।
इम्तिहान अपना क़दम-कदम पर होता है।
जीत तो उसी की है जो सीखता रहता है।
सीखते हुए जीने में ही हमारी सफलता है।