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Seema Sharma

Drama Others

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Seema Sharma

Drama Others

चरमराती रिश्तों की दीवार

चरमराती रिश्तों की दीवार

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रिश्तों की दीवार देखो चरमरा रही,

नींव की बुनियाद हिलती जा रही ।

आपसी लगाव को सब बिसरा रहे,

मैं और मेरे को ही सब अपना रहे।।


सबकी सोच ऐसी होती जा रही, 

मैं और मेरी तन्हाई सबको भा रही।

परिवार सभी छोटे होते जा रहे ,

फर्ज अदा करने से घबरा रहे।। 


सभी बच्चों को खुशी से देखो,

माता-पिता ने पाल -पोस दिया।

पर देखो समय कैसा आया आज,

बच्चे माता-पिता को बोझ बता रहे।।


आधुनिकता की दौड़ में सभी, 

अपनों को भुलाते जा रहे। 

त्योहारों को पीछे छोड़ सभी,

किट्टी पार्टियों में मजे उड़ा रहे।।


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