मेरी प्यारी गंगा नदी
मेरी प्यारी गंगा नदी
यूँ तो मेरे देश में अनेकों नदियां हैं बहती
पर उनमें मुझे प्यारी है मेरी प्यारी गंगा नदी
राजा भगीरथ लेकर आए धरा पर
शिव की जटाओं में समाई
स्वर्ग से उतरी धरती पर
मेरी प्यारी गंगा नदी
हिंदुओं की असीम आस्था में बंधी
देवी रूप में पूजी जाती
सबके कष्टों को है हर जाती
मेरी प्यारी गंगा नदी
गंगोत्री हिमनद से निकलती
गोमुख उद्गम स्थल कहलाती
व्याकुल मन की प्यास बुझाती
मेरी प्यारी गंगा नदी
भागीरथी व अलकनंदा
देव प्रयाग में संगम करती
यहीं से गंगा रूप में जानी जाती
मेरी प्यारी गंगा नदी
हरिद्वार में जाकर श्रद्धालु
पावन गंगा में स्नान है करते
शुभ कामों में शुद्धिकरण को
अपनी गागर में गंगाजल भरते
अनेकों वृक्षों को सिचती जाती
खेतों में पानी भर जाती
जंगलों को हरा भरा कर जाती
मेरी प्यारी गंगा नदी
पूजा पाठ हो या हवन किसी के
सब अधूरा बिना गंगाजल के
जन्म जन्मों के पाप धो जाती
मेरी प्यारी गंगा नदी
मुझे प्यारी है गंगा नदी
हाँ मुझे प्यारी है गंगा नदी।