खोया हुआ था मैं।
खोया हुआ था मैं।
खोया हुआ था मैं,
समय के मझधार में।
खोया हुआ था मैं।,
एक अंजाना तकरार में।
खोया हुआ था मैं।
जिंदगी की रफ्तार में।
खोया हुआ था मैं।
समय की पुकार में।
खोया हुआ था मैं।
बहुतों की उपकार में।
खोया हुआ था मैं।
एक झूठी अंजाम में।
खोया हुआ था मैं।
झूठी आन बान शान में।
हे मनुष्य?
क्या मूल्य है उस जीवन का?
जो बंधा हुआ हो मझधार में।
पाया खोया खो कर पाया।
यही है जिंदगी की सच्ची माया।