STORYMIRROR

Rajeev Kumar Srivastava

Fantasy Inspirational

3  

Rajeev Kumar Srivastava

Fantasy Inspirational

जिंदगी – एक सफर

जिंदगी – एक सफर

1 min
171

निकला था घर से अनजाने सफर में,

मंजिल की खोज में,

अरमान तो बहुत थे साथ में,

किन्तु परन्तु भी थे साथ में।


चला था खुद के लिए भी,

या फसा सा था सबके लिए।

पता नहीं क्या मिलेगा,

पता नहीं क्या छूटेगा।


वक्त के धागे सुलझ रहे हैं,

अंधियारों से उजाले में।

आगे बढ़ते हुए इन अनजाने रहो पे,

चला जा रहा हूँ, जिंदगी के राहों पे।


पीछे देखा तो पता लगा,

छूट गए लड़कपन के दोस्त।

आगे देखा तो मिला,

जुड़ गए कई नए दोस्त।

क्या पाया, क्या खोया,

इन राहों पे,

सोचा तो ये ना था,

पर,

चाहा भी तो ऐसा नहीं था।


ए राजीव,

यही है जिंदगी,

सिखाती भी है, 

रुलाती भी है।

लेती भी पूरी है,

देती भी पूरी है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy