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Antariksha Saha

Tragedy Fantasy

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Antariksha Saha

Tragedy Fantasy

जाम

जाम

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फिर से एकबार बिखरते हैं

छलकते जाम से सराबोर होते हैं

जो पाया जो ना पाया उसका हिसाब छोड़ते हैं

फिर से एकबार आज बिखरते हैं


जो होना था वही होता हैं

फिर फ़िक्र किस बात की

अंजाम जो भी हो

आज की श्याम जाम के नाम


हर वो बात जो याद रह जाती हैं

दर्द देती है

वह इसी जाम से भूल जाते हैं हम

दुनिया ऐसे ही बादनाम किए हुए हैंं।


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