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Chitra Chellani

Tragedy

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Chitra Chellani

Tragedy

जैसे खोयी है गौरैया...

जैसे खोयी है गौरैया...

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जब यादों से मन भर आया 

नैनों ने छलकाया पानी

जैसे खोयी है गौरैया 

वैसे खोयी बिटिया रानी 

हर ऋतु को था ऋतुराज किया 

मृदु वाणी ऐसी बोल गयी 

मैंने डाले बस कुछ दाने 

वो श्रुति में अमृत घोल गयी

सुख से पूरित था धाम मेरा 

अनुकंपा मुझ पर सारी थी 

गौरैया नित्य चहकती थी 

वो वेला कितनी प्यारी थी 


लौट अजिर में आने को अब

ढूँढ नहीं पाती रंग धानी 

जैसे खोयी....


जबसे तुमने विदा किया है 

रिश्ते नव नूतन जोड़ दिए 

मौन अधर पर धर कर तब से 

बिटिया ने निज पथ मोड़ लिए 

एक हृदय में तीन हृदय की 

पीर बसा कर ये रखती है 

बिटिया माँ बाबा की पीड़ा

उनके जितनी ही सहती है 


पारावार हुए हैं दृग अब 

कहते, बंद करो मनमानी 

जैसे खोयी....!



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