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Azhar Ali

Tragedy

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Azhar Ali

Tragedy

एक उनवान लिखते हैं

एक उनवान लिखते हैं

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चलो आज फिर एक उन्वान लिखते हैं,

तुम जुर्म करो और हम तुम्हारी शान लिखते हैं,

किसी को क्या ही पता चलेगा हम झूठी ज़ुबान लिखते हैं,

हम तो बस सरकार तुम्हारे ही गान लिखते हैं।


तुम दंगे लिखना हम संग ज़बान लिखते हैं,

तुम विद्रोह लिखना हम खून सरेआम लिखते हैं,

तुम बेड़ा गर्क लिखना हम तंग मकान लिखते हैं,

आओ इस स्याही से मिल कर रौशनदान लिखते हैं।


तुम नुकसान का सामान करना हम नफा की पहचान लिखते हैं,

तुम लोगों पे कहर ढा देना हम खुश आवाम लिखते हैं,

तुम देश बिकवा देना हम उसकी उन्नति का पैग़ाम लिखते हैं,

हम तो बस सरकार तुम्हारे ही गान लिखते हैं।


तुम उनमें फसाद करवाना हम मुसलसल अमन की ज़बान लिखते हैं,

तुम ज़हर घोलते रहना हम अमृत का नाम लिखते हैं,

तुम उन्हें सड़कों पे ले आना हम सिर्फ क़याम लिखते हैं,

आओ इस स्याही से मिल कर रौशनदान लिखते हैं।


तुम लोगों को मजबूर कर देना हम उन्हें मगरूर इन्सान लिखते हैं,

तुम नासूर बन जाना हम बस सर्दी जुखाम लिखते हैं,

"अज़हर" ये हैं लोग जो कुछ भी हैं बस लिखते हैं

हमारी तो आंखें खुली हैं आओ सच का सामान लिखते हैं।


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