STORYMIRROR

Azhar Ali

Abstract Classics Inspirational

4  

Azhar Ali

Abstract Classics Inspirational

मेरा गांव

मेरा गांव

1 min
210

एक सुहानी सी किरण में एक भीनी सी फबन में

असलाफों के चमन में बुजुर्गों के बाकपन में

नहरों के ज़कन में खेतों सी दुल्हन में

ज़्यादा बड़ा तो नहीं मगर बहुत अच्छा है गांव।


आलू लगे हुए हैं और गेहूं हरे हो रहे हैं

सरसों स्वर्णिम किरणें बिखेरते हुए खिल चुके हैं

और जानवर अब आपस में गले मिल चुके हैं

ज़्यादा बड़ा तो नहीं मगर बहुत अच्छा है गांव।


मटर के खेत में बच्चे छीमियां चुराते हुए

दूर से एक दादा कई बच्चों को खिलाते हुए

कई लोग शाम को मजदूरी कर के आते हुए

ज़्यादा बड़ा तो नहीं मगर बहुत अच्छा है गांव।


एक लम्हा एहसास का है वहां "अज़हर"

एक लम्हा लोगों की आस का है वहां "अज़हर"

एक लम्हा कुछ आम और खास का है "अज़हर"

ज़्यादा बड़ा तो नहीं मगर बहुत अच्छा है गांव।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract