मेरा गांव
मेरा गांव
एक सुहानी सी किरण में एक भीनी सी फबन में
असलाफों के चमन में बुजुर्गों के बाकपन में
नहरों के ज़कन में खेतों सी दुल्हन में
ज़्यादा बड़ा तो नहीं मगर बहुत अच्छा है गांव।
आलू लगे हुए हैं और गेहूं हरे हो रहे हैं
सरसों स्वर्णिम किरणें बिखेरते हुए खिल चुके हैं
और जानवर अब आपस में गले मिल चुके हैं
ज़्यादा बड़ा तो नहीं मगर बहुत अच्छा है गांव।
मटर के खेत में बच्चे छीमियां चुराते हुए
दूर से एक दादा कई बच्चों को खिलाते हुए
कई लोग शाम को मजदूरी कर के आते हुए
ज़्यादा बड़ा तो नहीं मगर बहुत अच्छा है गांव।
एक लम्हा एहसास का है वहां "अज़हर"
एक लम्हा लोगों की आस का है वहां "अज़हर"
एक लम्हा कुछ आम और खास का है "अज़हर"
ज़्यादा बड़ा तो नहीं मगर बहुत अच्छा है गांव।
