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Nirmal Kant Pandey

Tragedy

4  

Nirmal Kant Pandey

Tragedy

सड़क सुरक्षा!

सड़क सुरक्षा!

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जब मैं निकलता हूं सड़क पर 

ऐसा लगता है मैं हूं सरहद पर।


हर तरफ युद्ध का नजारा होता है। 

हर कोई इस युद्ध में शामिल होता है। 

यह देख मेरी दिल की धड़कन बढ़ने लगती है 

 जब हर कोई सड़क पर जंग लड़ रहा होता है।


जब मैं निकलता हूं सड़क पर 

ऐसा लगता है मैं हूं सरहद पर।


वह मिसाइल की रफ्तार से आगे निकलता है 

और किसी ना किसी की जान लेकर ही दम लेता है।

कोई और उसका निशाना ना भी बने तो

कभी न कभी वह खुद ही फट पड़ता है।


जब मैं निकलता हूं सड़क पर

ऐसा लगता है मैं हूं सरहद पर।


सुना हो जाता है आंगन किसी का

किसी की जिंदगी बदरंग हो जाती है। 

क्यों भागते हैं इतना तेज हम

किसी की खुशियों में मातम हो जाता है।


जब मैं निकलता हूं सड़क पर 

ऐसा लगता है मैं हूं सरहद पर।


सड़क पर जब कोई मरता है, 

लोगों का हुजूम लगता है। 

मरने वाला कुछ पल चर्चा में रहता है

फिर कोई और चर्चा में होता है।


जब मैं निकलता हूं सड़क पर 

ऐसा लगता है मैं हूं सरहद पर।


मत समझो बोझ हेलमेट को तुम 

किसी के दिल पर किसी की ममता पर 

किसी के बचपन पर किसी के प्यार पर 

जिंदगी का बोझ बढ़ जाएगा। 


जब मैं निकलता हूं सड़क पर

 ऐसा लगता है मैं हूं सरहद पर।



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