सड़क किनारे का प्रेमी..
सड़क किनारे का प्रेमी..
मुख़्तसर
हुस्न के जलवो का रौब ना दिखाया करो
काले बालो से हमको ना रिझाया करो
और सुनो माथे पर बिंदी मत लगाया करो
जालिमा..
बेतलब अगर इश्क़ हुआ
बेअसर अगर इश्क़ हुआ
मैं इत्तेला दूंगा वस्ती में
एक आवारा सरफिरा सा भटकूंगा
तुम देखती रह जाओगी
अक्सर मुहल्लों के आशिक़ परवान चढ़ते हैं
इस कदर तेरे पास फटकूंगा..
नयनतारा
तुम नवाबों के महल में रहती हो
आधुनिक जो हो
गर्दिश में चमकती हो..
मैं बेसक फ़क़ीर ठहरा
तेरे आसपास यूंही दर दर भटकूंगा..
बेसक निगरानी में रहो तुम
दीवार तड़प कर देखने को तरसूंगा..
बेफिज़ूल
तुम आँखों से जादू ना चलाया करो
गायब होके हमें डराया ना करो
हम साहिल हैं,मेहरम..
तुम खुश्बू यूं ना बिखराया करो
बेइंतेहा अगर मोहब्बत हुआ
बेजार अगर ये दिल हुआ
मैं रोज दस्तक दूंगा तेरे गलियों की
मेहरम..
तेरे आने के आहट से
तुझे पाने की चाहत में माथे टेकूँगा...

