दिल की आवाज
दिल की आवाज
परिंदों की हँसीं को
गौर से सुनना..
फिर तकना खुद को,
और ढूंढना खुद को, खुद में ..
सुनाई देने वाली आवाज कम,
दिल के चोट ज्यादा दिखेंगे..
दिखेंगे अपनी ही बरबादियों
की भीड़ में
कुछ लोग..
जो तुम्हें ज़िंदगी में आगे,
बढ़ते कभी नहीं देखना चाहते हैं..
मतलबी और स्वावलम्बी लोग मिलेंगे
ज़िंदगी के सफर में..
रोकना खुद को,
और सोचना..
क्या पाया, जिसे सुना..
फिर अंदर के परिंदों को
गौर को सुनना..
