कड़ी मेहनत लगी थी जिस घर को बनाने में उसका वो छत अब छीन रहा था शायद। पर हमें क्या फ़ कड़ी मेहनत लगी थी जिस घर को बनाने में उसका वो छत अब छीन रहा था शायद। पर...
क्योंकि तोड़कर अब हर जंजीरों को मैं खुली हवाओं की तरह उड़ना चाहती हूं। क्योंकि तोड़कर अब हर जंजीरों को मैं खुली हवाओं की तरह उड़ना चाहती हूं।
ये तो अच्छा हुआ परिंदों के मजहब नहीं होते नहीं तो वो बेचारे भी आसमान को बांटते होते। ये तो अच्छा हुआ परिंदों के मजहब नहीं होते नहीं तो वो बेचारे भी आसमान को बांट...
कभी आजाद परिंदों सी उड़ान भरती हूँ अपने ही खयालों में मस्त रहती हूँ कभी आजाद परिंदों सी उड़ान भरती हूँ अपने ही खयालों में मस्त रहती हूँ