सिसकती साँसों के पहरे होंगे न जाने कब वो मेरे होंगे ! सिसकती साँसों के पहरे होंगे न जाने कब वो मेरे होंगे !
जहाँ देखो,वहाँ छल है दिखे उन्माद का, बल है। अहं में आदमी अंधा करे है लोभ का धंधा।। जहाँ देखो,वहाँ छल है दिखे उन्माद का, बल है। अहं में आदमी अंधा करे है लो...
इस जिस्म के मिटने पर भी, इस जिस्म के मिटने पर भी,
अमृत कलश से सींचा हमें रोए तो बांहों में भिंचा हमें, अमृत कलश से सींचा हमें रोए तो बांहों में भिंचा हमें,
शिकायत नहीं की अंगार उगलती रास्तों से सिसकती बेवफाइयों ने पर शिकायत नहीं की अंगार उगलती रास्तों से सिसकती बेवफाइयों ने पर
कभी आजाद परिंदों सी उड़ान भरती हूँ अपने ही खयालों में मस्त रहती हूँ कभी आजाद परिंदों सी उड़ान भरती हूँ अपने ही खयालों में मस्त रहती हूँ