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Rajiv Jiya Kumar

Abstract Inspirational

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Rajiv Jiya Kumar

Abstract Inspirational

नारी से संसार है

नारी से संसार है

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न तकरार कोई

नहीं कोई रार है

बस इकरार, एतबार है

सच, नारी से सारा संसार है।।

उसने हर अजन्मे को काया दिया

काल की भुनती धूप में

छाया दिया,

अमृत कलश से सींचा हमें

रोए तो

बांहों में भिंचा हमें,

उससे बस उससे

बिन चैन तो करार है,

नारी से सारा संसार है।।


हर लफ्ज में मेरे

उसी की बात है,

संग वह तो सिसकती

कहाँ कोई रात है,

उसकी लोरी की धुन सुन

अन्तर्मन करे गुनगुन

रोम रोम में लहू

उसका प्यार है,

नारी से सारा संसार है।।


वजूद मेरा-तेरा बस वही

तजबीज ताबीज जीने का वही

छलिया से जहां में अपने

सत्य वह, वह जनक जननी है,

वह तो जीवन गति दे

वही तो जीवन का अमोल सार है,

नारी से सारा संसार है।।

        


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