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Himanshu Jaiswal

Others

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Himanshu Jaiswal

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वो बेज़ुबान

वो बेज़ुबान

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वह चिड़िया मुझसे कुछ कह रही थी शायद

पेड़ कट रहा था जिसपर वो रह रही थी शायद।


हमारा आशियाना तो कोई नहीं उजाड़ेगा

उसका तिनका तिनका बिखर रहा था शायद।


बोली तो समझ नहीं सकते हम उनकी मगर

पर लगा मुझे जैसे वो रो रही थी शायद।


कड़ी मेहनत लगी थी जिस घर को बनाने में

उसका वो छत अब छीन रहा था शायद।


पर हमें क्या फ़र्क पड़ता है उसके दुख-दर्द से

स्वार्थी इंसानों से उसे यही मिलना था शायद।



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