चलना तो होगा ही
चलना तो होगा ही
राह कैसी भी हो,राह पर चलना तो होगा ही
फूल हो या पत्थर सामने,गुज़रना तो होगा ही
अभी ख़ुद को ढाला है हमनें वक़्त के हाँथों
वक़्त को भी हमारे हिसाब से ढलना तो होगा ही
तेल नहीं अपना लहू दिया है मैंने
इन चिरागों को अब जलना तो होगा ही
कब तक छिपेगा समुंदर की कोख़ में मोती
कभी उसे मेरे हत्थे चढ़ना तो होगा ही
क़रार किया और तोड़ दिया जब जी चाहा
हमें भी कभी वादे से मुकरना तो होगा ही
हर जंग नहीं जीत सकता इस जहां में कोई
कभी किसी के आगे बिखरना तो होगा ही
हम नहीं जो सह जाएं सब तन्हा यहाँ
तुझे भी आतिश ए इश्क़ में तड़पना तो होगा ही
दुआओं में इतनी शिद्दत है तेरे "शिवम"
किसी तारे तो यक़ीनन टूटना तो होगा ही।
