साहित्य सम्राट-मुंशी प्रेमचंद
साहित्य सम्राट-मुंशी प्रेमचंद
कालजयी वो साहित्यकार है,कालजयी हैं रचनाएं
प्रासंगिक हर परिप्रेक्ष्य में आज भी उनकी रचनाएं
"कलम के सिपाही" थें वो बात कलम से करते थें
जीवंत मानो हो जैसे सब ऐसे चरित्र वो गढ़ते थे
सामाजिक परिवेश पर ही उनका लेखन तंत्र रहा
सवेंदनाओं को उजागर करना ही उनका "मंत्र" रहा
शोषण, गरीबी और कुप्रथाओं पर करते वो प्रहार थें
मानव मूल्यों को दर्शाते उनके यही विचार थें
मानो उन्हें मिला कोई लेखन का "वरदान" हो
वास्तविक हैं लगते चाहे "कफ़न" हो या "गोदान" हो
सहजता और सरलता उनकी भाषा का "आधार" था
ख़ुद भी सहज सरल थें वो न कोई "अहंकार' था
जीवन "अनुभव" को दर्शाना ही उनका "कौशल" है
योगदान ये मुंशी जी का साहित्य का धरातल है।
