वो अब एक संत बन चुका था जिसके लिये हर्ष और विषाद अब एक बराबर थे। वो अब एक संत बन चुका था जिसके लिये हर्ष और विषाद अब एक बराबर थे।
दादी गुल्लक से तब पैसे निकालती जब हम जाते थे बाजार दादी गुल्लक से तब पैसे निकालती जब हम जाते थे बाजार
वो हिंदी के काव्य और साहित्यों से भरे लेक्चर लगता था जैसे चल रही हो एक पिक्चर वो हिंदी के काव्य और साहित्यों से भरे लेक्चर लगता था जैसे चल रही हो एक पिक्च...
हर जगह पर एक अलग किस्सा एक अलग एहसास बिखरा पड़ा है, हर जगह पर एक अलग किस्सा एक अलग एहसास बिखरा पड़ा है,
पशु भी इशारा समझें, हित प्रेम बंधें डोर।। पशु भी इशारा समझें, हित प्रेम बंधें डोर।।
जीना एक फुर्सत है वह मृत्यु की व्याख्या करता चला गया जीना एक फुर्सत है वह मृत्यु की व्याख्या करता चला गया