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Rashmi Singhal

Romance

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Rashmi Singhal

Romance

किस्से बिखरे पड़े हैं

किस्से बिखरे पड़े हैं

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समझ नहीं आता...,

कभी-कभी, के

कैसे समेटूँ ? उन

अनगिनत किस्सों 

को, जो...

बिखरे पड़े हैं,

इस जमीन से,

आसमां तक,

हर उस शय में, जो 

साक्षी है हमारे साथ 

बिताए हर एक

पल के,

जिस ओर भी 

जाती हूँ

हर जगह पर

एक अलग किस्सा

एक अलग एहसास 

बिखरा पड़ा है,

कोशिश भी करती हूँ

उन्हें इकट्ठा करने की,

पर जितना समेटती

हूँ उतने ही ओर

बिखरे मिलते हैं,

किस्से मेरे-तुम्हारे।


   


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