और मैं अपने मौन में प्रयत्न कर रही हूँ उसके सृजन की साक्षी होने का...। और मैं अपने मौन में प्रयत्न कर रही हूँ उसके सृजन की साक्षी होने का...।
माता नदियाँ हैं सभी, वृक्ष पिता की छाँव। इनकी रक्षा सब करें, रहें शहर या गाँव।। माता नदियाँ हैं सभी, वृक्ष पिता की छाँव। इनकी रक्षा सब करें, रहें शहर या गाँव।।
परिवर्तन को स्वीकारें हम परिवर्तन संग उठे क़दम। परिवर्तन को स्वीकारें हम परिवर्तन संग उठे क़दम।
तेरी ही खूशबू में महकाया, अपनी दिल की हर बात को। तेरी ही खूशबू में महकाया, अपनी दिल की हर बात को।
चलता ही रहा, बढ़ता ही रहा, उस राह से मैं अंजाना, मंज़िल थी बसी आँखों में मेरी, कुछ सही लगा... चलता ही रहा, बढ़ता ही रहा, उस राह से मैं अंजाना, मंज़िल थी बसी आँखों में ...
वर-कन्या पक्ष खुशी से पंडित मंगल गीत झूमकर गाते हैं। वर-कन्या पक्ष खुशी से पंडित मंगल गीत झूमकर गाते हैं।