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Sandeep Gupta

Romance

3  

Sandeep Gupta

Romance

तेरा साथ

तेरा साथ

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सात जन्‍म मुकर्रर किए,

तुमसे एक मुलाकात को,

हर साँस मुकम्मल की,

तेरे बस साथ को।


सूरज, चाँद को साक्षी बनाया,

तुमसे ही जो चाहत को,

सितारों को भी सजाया,

बनाई तेरी जो हर रात को।


मिलने को तरसे हैं कितना,

बताया हर ख्वाब को,

तेरी हक़ीक़त में हैं जीते,

तेरा जो बनाया अपने आप को।


लकीरों की क्या बात करे,

हमने सजाया अपने हर एहसास को,

तेरी ही खूशबू में महकाया,

अपनी दिल की हर बात को।


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