तुम
तुम
तुम्हें सिर्फ चाँद कैसे कहे,
तुम तो सारा आसमां हो,
धड़कते हो मेरा वजूद बन,
तुम तो मेरा सारा जहां हो..
मोहब्बत है तुमसे,
मुझसे जुदा तुम कहाँ हो,
रब की तरह मेरे हर तरफ,
जहाँ देखूँ मैं तुम वहाँ हो..
हो झिलमिलाते सितारे मेरे खुशियों के,
सूरज से रौशन उम्मीदों की किरण हो,
इंद्रधनुष से सुनहरे रंग लिए,
तुम जीवन के वर्णन हो...
तुम्हें सिर्फ चाँद कैसे कहे,
तुम तो ख़ुद में पूर्ण हो,
चाँद की तरह घटते बढ़ते कहाँ,
पूर्णिमा बन जीवन में सम्पूर्ण हो...
