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Sandeep Gupta

Romance

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Sandeep Gupta

Romance

प्रेम का पौधा

प्रेम का पौधा

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अश्कों से सींचा है मैंने,

वो पौधा जो लगाया प्रेम का,

स्नेह की धूप में हमेशा,

खिलता पाया पौधा जो

लगाया प्रेम का...


पल पल महकी हैं साँसें,

पुष्पों से खिला जो पौधा प्रेम का,

मुस्कराहटों में संवरा है देखो,

कैसे वो पौधा प्रेम का


ना जाने कितना गहरा,

उग आया है पौधा प्रेम का,

मुझे देकर छाँव लगाव की,

इर्दगिर्द फैल आया

पौधा प्रेम का


सूखी जो मिट्टी थी दिल की,

हरित किया वो पौधा प्रेम का,

बस बाँधा है मन्नत का धागा,

जिसमें बँधा है पौधा प्रेम का...



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