ना जाने कितना गहरा, उग आया है पौधा प्रेम का, ना जाने कितना गहरा, उग आया है पौधा प्रेम का,
मेरी काया है तेरी कायनात तले उम्मीद मेरी तेरी आंखों के छलकते जाम से परवान चढ़े , मेरी काया है तेरी कायनात तले उम्मीद मेरी तेरी आंखों के छलकते जाम से ...