देश मेरा
देश मेरा
खोजने चला देश को अपने,
हर दिल, हर धड़कन में मिला।
बहु रंग समेटे अपने स्वरूप में,
इन्द्रधनुष सा सुनहरा मिला।
मंदिरों की घंटी में मिला,
अजान और गुरुवाणी में मिला।
हर धर्म का रंग लेकर,
मुझको देश तिरंगे में मिला।
हर गली, हर मोहल्ले में,
खेलता कूदता देश मिला।
गाँवों और शहरों के घरों में,
भिन्न तरहों के खानपान में मिला।
जन गण मन के हर शब्द में मिला,
सारे जहां से अच्छा मिला।
अलग अलग परिधानों में,
दिल से दिल जुड़ा मिला।
सरहद पर हर सीने में मिला,
हर बन्दूक की गोली में मिला।
हर संस्कार, हर त्यौहार, हर खेल में,
हर कदम पर देश मिला।
डाकिए के हर सन्देश में मिला,
सात समन्दर अहसास में मिला।
खुद को जो तलाशा तो,
मेरे हर वजूद में देश मिला।
