आज बह रही हूं श्रोत सा....कहीं कल सिर्फ 'छींट' में न नज़र आऊं। आज बह रही हूं श्रोत सा....कहीं कल सिर्फ 'छींट' में न नज़र आऊं।
केवल वही पत्र नज़रों के सामने आ जाता है बिना सम्बोधन लिखा पत्र। केवल वही पत्र नज़रों के सामने आ जाता है बिना सम्बोधन लिखा पत्र।
सुदामा-कृष्ण की जोड़ी थी, मन में तनिक भी स्वार्थ न था असीम प्रेम था जीवन में सुदामा-कृष्ण की जोड़ी थी, मन में तनिक भी स्वार्थ न था असीम प्रेम था जीवन...
जब तक रहूँ, तेरे दिल में रहूँ। जब तक रहूँ, तेरे दिल में रहूँ।
क्यों खुद से खुद का रिश्ता भूल गयी ! क्यों खुद से खुद का रिश्ता भूल गयी !
एक बार जो टूटा दौबारा न बन पाएगा। एक बार जो टूटा दौबारा न बन पाएगा।