मन का आँगन रौशन क़रें
मन का आँगन रौशन क़रें
आई दीवाली सबको स्नेह प्रेम मिलकर दो,
दूसरों के मुस्कान का जवाब मुस्कुराकर दो !
इन जगमगाते दीपों से सबको एक प्रेरणा दो,
सबको ज्योति बाँटो,जीवन में उजाला भर दो !
लुटा कर प्रेम व स्नेह ये जग पावन कर दो,
सुप्त उदास हृदय में प्रीतिमय जागन कर दो !
जन मन का वृहद आँगन खुशियों से भर दो,
सबके अंतर्मन में दिव्य प्रकाश की लौ धर दो !
संताप घिरे न हिय ब्रह्म-ज्योति को अवसर दो,
उदास ह्रदय में खुशी का प्रकाश प्रदीप्त कर दो !
