STORYMIRROR

chandraprabha kumar

Fantasy

4  

chandraprabha kumar

Fantasy

सुगन्ध का मेला

सुगन्ध का मेला

1 min
223

नींबू के फूलों की गंध 

बड़ी मादक होती है,

कविता को जानना है तो 

नींबू के फूलों के पास जाओ। 


गरमी में प्रातः काल पवन

बेला से खेला करता,

साल भर सुगंधों का मेला 

क्रमवार लगा रहता।


पहले नींबू,फिर मेंहदी

फिर बेला, फिर रजनीगंधा,

फिर हरसिंगार,फिर गुलाब

पर गुलाब की गन्ध नहीं उड़ती। 


गुलाब तो शाही

सुकुमार अदा का फूल है,

जब नासिका के पास ले जाओ

तभी सुवास का रहस्य खोलता है।


वायु गन्धवह है पर

गन्ध से एकात्म नहीं होता,

उससे लिप्त नहीं होता

खुद को गन्ध नहीं समझने लगता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy