सुगन्ध का मेला
सुगन्ध का मेला
नींबू के फूलों की गंध
बड़ी मादक होती है,
कविता को जानना है तो
नींबू के फूलों के पास जाओ।
गरमी में प्रातः काल पवन
बेला से खेला करता,
साल भर सुगंधों का मेला
क्रमवार लगा रहता।
पहले नींबू,फिर मेंहदी
फिर बेला, फिर रजनीगंधा,
फिर हरसिंगार,फिर गुलाब
पर गुलाब की गन्ध नहीं उड़ती।
गुलाब तो शाही
सुकुमार अदा का फूल है,
जब नासिका के पास ले जाओ
तभी सुवास का रहस्य खोलता है।
वायु गन्धवह है पर
गन्ध से एकात्म नहीं होता,
उससे लिप्त नहीं होता
खुद को गन्ध नहीं समझने लगता।