अजीब बात
अजीब बात
बात है ऐसी,
फिर भी कैसी।
है ना अजीब बात,
बात हो न जैसी।
रात को हुई कुछ ऐसी बात,
खाने में नमक हुई कम थोड़ी।
बात थी नहीं बहुत बड़ी,
पर फिर भी हो गई ये बात।
बड़ो ने फुलाया अपना मुंह,
बच्चो ने खाया चाव से।
हुई ना ये अजीब बात,
जो की थी ना कोई बात।
सुबह नास्ते करने को जब,
सब फिर बैठे एक साथ।
बड़ो का मुंह था देखने लायक,
बच्चो को तो लगी थी भुख जोर की।
नाश्ता आया, सबने खाया,
बड़ो ने और मांग कर खाया।
बच्चों ने भी और मंगवाया,
आखीर खत्म हो गई सारी बात।
बात ही ऐसी होती है माँ के खानों की,
बड़े खाए ताव से,
बच्चे खाएं चाव से।
रात गई बात गई,
जैसे हुई ये अजीब बात।
ये है हर घर की बात,
हुई ना ये अजीब बात।