STORYMIRROR

Divyanshi Triguna

Abstract Fantasy

4  

Divyanshi Triguna

Abstract Fantasy

श्री राधे गोविन्द हरि,,।

श्री राधे गोविन्द हरि,,।

1 min
361

श्री राधे गोविन्द हरि,

    श्रीमन रहते नारायण ही..

नारायण रहें अन्तर्मन में,

    श्याम सुन्दर रहें, इस जीवन में..

हम कहते हैं हरि नाम को,

    हर नाम ही, हरि नाम हों..

हर पल श्याम का नाम हों,

    जीवन प्रेम का धाम हों..

आस, श्वास में वास तुम्हारा

    प्रेम प्यास में जीवन सारा..

कोई ऐसा पल भी तो हों,

    जिसमें बस मेरे मधुसूदन हों..

हर क्षण अर्पण कर दिया है,

    जब से श्याम नाम पिया हैं..

ये जीवन भी सार्थक हुआ हैं,

    श्याम ने प्रेम को वर लिया हैं..

श्री राधे गोविन्द हरि,

    श्रीमन रहते नारायण ही.......



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract