एक फूल
एक फूल
है वह एक फूल
नाजुक सी
जिसे हर कोई पाना चाहता है
छूना चाहता है
और करना चाहता है महसूस
इसी उधेड़ बुन में
तोड़ देते हैं लोग उसे अपनी डाली से
और देते हैं नोच
सूख जाती है वह भी बिन कहे
अपने अस्तित्व से विलग होकर
दुखी था मैं अस्तित्व हीन
इन "नवीन" रिवाज को देखकर
और था खुश, उसको अपनी डाली पर देखकर
मुस्करा रहा था, उसको खुश देखकर।