शब्द
शब्द
1 min
261
शब्द ही शब्द की पूजा है
शब्द ही उसका स्वरूप
शब्द से त्रिदेव बने हैं
शब्दों से बना मानव भूत
बिन शब्द के सुना है
यह धरती यह संसार
ईश्वर भी मिलेगा तुमको
शब्दों के संसार
शब्द ही बहती है
पक्षियों के सुरम्य आवाजो में
शब्द ही कोलाहल करती है
महा प्रलय के भावों में
शब्दों के खेल निराले हैं
इन्हें समझना जरूरी है
जो ना समझे शब्दों को
उनका मिटना जरूरी है
हां उनका मिटना जरूरी।