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Navin Madheshiya

Others

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Navin Madheshiya

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शब्द

शब्द

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शब्द ही शब्द की पूजा है

शब्द ही उसका स्वरूप

शब्द से त्रिदेव बने हैं

शब्दों से बना मानव भूत


बिन शब्द के सुना है

यह धरती यह संसार

ईश्वर भी मिलेगा तुमको

शब्दों के संसार


शब्द ही बहती है

पक्षियों के सुरम्य आवाजो में

शब्द ही कोलाहल करती है

महा प्रलय के भावों में


शब्दों के खेल निराले हैं

इन्हें समझना जरूरी है

जो ना समझे शब्दों को

उनका मिटना जरूरी है

हां उनका मिटना जरूरी।



ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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