मां-बापू की यादें
मां-बापू की यादें
बहुत याद आ रही है मुझे बचपन की
बाते किया करता था में जब सच्चे मन की
पिता के कंधे पर घूमना
छोटी छोटी बातों पर रूठना
बहुत याद आ रही है पिता के दुलारेपन की
खिलौने के लिये रोना,
न दिलाने पर ज़मीं पर लौटना
बहुत याद आ रही है मुझे उस भोलेपन की
बहुत याद आ रही है मुझे बचपन की
पापा के डांटने पर,
मेरी पिटाई करने पर
मेरा रोटी खाना छोड़ देना
और मां तेरा वो मुझे मनाना,
बहुत याद आ रही है माँ तेरे ममतापन की
मेरा रात को वो डर जाना
मां तेरा वो लोरी गाकर सुलाना
बहुत याद आ रही मां तेरी
गोदी में सोने के सुहानेपल की
अब में बड़ा हो गया
मां तुझसे दूर हो गया
शादी कर में अलग हो गया
बहुत याद आ रही है माँ कुंवारेपन की
मेरे हर सांस में,
मां तेरा नाम लिखा है
मेरे खून के कतरे कतरे पर
बापू तेरा नाम लिखा है
बहुत याद आ रही मां-बापू
आप दोनों के निश्छल दुलारेपन की
बहुत याद आ रही है मुझे बचपन की
ये आपके प्यार की स्मृतियां
दिल पर गिराती है बिजलियां
बहुत याद आ रही है
मेरे दिल मे बसे मेरे भगवान
मेरे मां-बापू आपके भोलेपन की
बहुत याद आ रही है मुझे बचपन की।
