एक भिखारी की जीवनी
एक भिखारी की जीवनी
एक पैर में
घाव है
मेव रिस रहे हैं
दुर्गन्ध से
वह खुद भी
परेशान है
एक हाथ में
भिख के लिए थाली है
दूसरे हाथ के सहारे
वह रेंगता है
दूसरी ओर
एक अमीर शराबी
गले में
टाई लगाकर
शराब की बोतल
चुमते हुए
सड़क के किनारे
गिरा पड़ा
हिन्दी फिल्म की
गाने गुनगुनाता है
और बीच-बीच में
गालियां देता है
अपने
बीवी और बच्चों को
’शाले - मुझे दारू
पीने से रोकते है
शाले हरामखोरों....’
ईधर
वह घाव वाला आदमी
कहता है
’अपने बीवी-बच्चों
के साथ
शाम को एक साथ
खाएंगे’
