नागाड़े की वह आवाज
नागाड़े की वह आवाज
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नागाड़े की
आवाज
और
मांदर की
थाप पर
नृत्य करते
पुरूष एवं महिलाएं
आज भी
मुझे याद हैं।
बच्चे और बूढ़े भी
मस्त थे
अपने अपने नृत्य में।
बाहा पर्व
की वह बेला में
पुरूषों के
कान में
महिलाओं के
चुड़े में
साल के फूल
सुसोभित थे।
वह
अभूतपूर्व संगम
आज भी
मुझे याद है।
