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Kalpesh Vyas

Abstract Drama

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Kalpesh Vyas

Abstract Drama

बैरी पानी

बैरी पानी

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मैं हाल-ए-दिल पानी पर लिख रहा था, 

पर पानी ने मुझे कुछ लिखने न दिया। 


फिर उस बात को मैं रेत पर लिखने लगा,

सागर की लहरें उसे मिटा कर चली गई। 


कागज पर हाल-ए-दिल लिख रहा था। 

पर बारिश की बूंदें कागज को भिगा गई।


हाल-ए-दिल मैंने आंखों में बयाँ किया, 

पर उसे आंसू भी अपने साथ बहा गए।


यूँ लगता है, पानी का कुछ बैर है मुझ से,

मेरी सारी मेहनत पर पानी फिर गया। 


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