इश्क का दस्तूर है!
इश्क का दस्तूर है!
कौन जाने इश्क का कैसा गजब दस्तूर है !
चाह कर हम ना मिले किस बात से मजबूर हैं?
होंठ हैं खामोश लेकिन, नैन करते बात हैं,
गौर से देखो ये आँखें प्यार का ही नूर हैं।
चाँद-तारों से सजी प्यारी सुहानी रात हैं,
क्या नशा है प्यार का सारे नशे में चूर हैं।
रोज ही आकाश धरती उस क्षितिज पर ज्यूं मिले,
उस तरह हम पास भी है, उस तरह हम दूर है ।
बात अपनी हम ही जाने, तीसरा कोई नहीं,
ये हमें मंजूर है पर क्या तुम्हें मंजूर है ?
और मैं तारीफ क्या करता तुम्हारे रूप की ?
मान लो आई उतर के आज कोई हूर है!
ये गजल है 'काल्पनिक' पर वास्तविक तुम को लगे
इस गजल को वो न समझे लोग जो मगरूर है
धून:
1. होशवालों को खबर क्या....
2. यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी ...
3. दिल के टुकड़े टुकड़े कर के...
(बोलिवूड में और भी कई गाने है जो गज़ल की इस बहर पर आधारित है।)