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Sonam Kewat

Drama

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Sonam Kewat

Drama

परिवार

परिवार

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आजकल हम सभी नवयुवक,

जाने कितनी बेवकूफियां कर जाते है।

तजुर्बा है कि परिवार से ज्यादा,

हम सभी दोस्तों को अहम बताते हैं।


एक दौर था जब मैं भी हॉस्पिटल के,

एक बिस्तर पर असहाय पड़ा था।

आंख खुली जब तो मां-बाप समेत,

पूरा परिवार आँखों के सामने खड़ा था।


मैं फोन करके दोस्तों को याद किया

और सभी को पास बुलाता रहा।

कोई परीक्षा तो कोई घर के नए नए,

बहाने करके मुझे बहकाता रहा।


चोट लगी थी मुझे पर दर्द की कराह,

मां-बाप की आवाज से आ रही थी।

पापा थोड़ा गुस्सा कर रहे थे,

पर मां बस प्यार से खिला रही थीं।


वह भगवान से पूजा करतीं हैं और

जाने क्या-क्या मांग मन्नते मांगती।

और मैं वही बेटा हूं जो कहता था,

कि शायद मेरी मां मुझे नहीं मानती।


पापा ने कर्ज भी लिया था और,

माँ ने अपने गहने तक गिरवी रखे थे।

मेरी आंखों में दर्द नहीं था बस,

असीम प्यार से आंसू भरे थें।


अब मैं अपने मां बाप को छोड़कर,

बिना बताये कभी दूर जाता नहीं।

दोस्ती बस बाहर तक दिखावा हैं,

परिवार के बीच किसी को लाता नहीं।


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