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Sunita kashyap

Drama

4.5  

Sunita kashyap

Drama

ईर्ष्या

ईर्ष्या

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ईर्ष्या जब पहली बार हुई, 

नादान थी मैं जो उस 

दोस्त से नाराज हुई। 


तो क्या हुआ अगर, 

वो थी मुझसे अमीर, 

पहना करती थी मँहगे कपड़े, 

करती थी लाखों की बातें।


और मैं ठहरी वो लड़की,

जिसको रब ने दी गरीबी की सौगात, 

ना रंग दिया ना रूप, 

ना करती थी मैं लाखों की बात, 

पर सरस्वती माता का था,

मुझ पर भरपूर आशीर्वाद। 


सदा करती थी उसके हित की बात

फिर किया उसने लोगों के बीच,

मुझ पर तीखी बातों का प्रहार। 

उस दिन मुझे भी उससे, 

ईर्ष्या हो गई यार।


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