नौकरी
नौकरी
नौकरी मेरे लिए है पूजा,
नौकरी लगती है मुझे कर्म दूजा।
इंटरनेट, अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं ,
में तुझे ढूँढती फिरती थी।
जब तू नहीं थी पास मेरे,
दुनिया मुझे नाकारती थी।
आखिर मेहनत रंग लाई,
एक अंजान शहर में तू मिली।
माना शुरूआत में मुश्किलें
बहुत आई,
पर तुझ को पाकर खुशी
बहुत मिली।
एक छोटा सा कमरा था,
रसोईघर भी उसी में समेटा था।
मेहनत का वो रंग अनूठा था,
जो दिल को बहुत सुकून देता था।
पहली बार पगार थोड़ी कम मिली,
पर खुशी सातवें आसमान पर थी।
अब वो सब मेरे अपने हुए ,
जिनके लिए मैं कभी हुई पराई थी।
जब से तू मिली,
ग़म थोड़े कम हो गए।
तू इतनी हसीन है नौकरी,
सब सपने पूरे और सब
अपने मेरे हो गए।
