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Sunita kashyap

Classics

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Sunita kashyap

Classics

एक सैनिक की बहन

एक सैनिक की बहन

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एक सैनिक की बहन हूँ मैं

दर्द अपने दिल का कैसे छिपाऊँ मैं


वो घर का इकलौता चिराग था

बूढे माँ-बाप का एक ही सहारा था

दो बहनों की आँखों का तारा था

रोशन घर उसी से था

भले ही गाँव में घर सबसे पुराना था


एक पल में सबकी जिंदगियां बदल गया

भाई मेरा देश की खातिर शहीद हो गया

वो एक पल जिसमे हमारा वक्त ठहर गया

भाई मेरा तिरंगा ओढ़कर सो गया


भाई जब से तू गया सब बिखर गया

तेरे साथ ही माँ - पापा का चैन चला गया

आँखों में आँसू छिपाए बैठी है तेरी बहना

पता है तू नहीं आयेगा

फिर भी रस्ता देखते है ये नैना


बोल कर गया था रक्षाबंधन पर आऊँगा मैं

कल रक्षाबंधन है भैय्या छोटी को कैसे समझाऊँ मैं

जिद करके बैठी है दीदी, भैय्या को बुलाओ ना

इस बार राखी पर नहीं आयेंगे तो एक डाँट लगाओ ना


कैंसे उसे समझाऊँ

माँ भारती की खातिर तुमने सीने पे गोली खाई

तिरंगे में लिपटे भाई को हम दे चुके अन्तिम विदाई।


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