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Mayank Kumar

Drama

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Mayank Kumar

Drama

उस बच्चे को देखकर

उस बच्चे को देखकर

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सारी खुशियों को एक कोने में धरकर,

मैं उस बच्चे के पास जाया करता हूं।


है चेहरा बिल्कुल उसका कान्हा-सा,

जिसे देख मैं सुदामा हो जाता हूं

अरे वह बालक नहीं, साक्षात कान्हा ही हैं

सारे नखरे बिल्कुल उसके कान्हा-सा ही हैं


दर्शन करो उसका तो, मालूम हो तुमको

वह बच्चा नहीं कोई फरिश्ते-सा ही है।

सारी खुशियों को एक कोने में धरकर,

मैं उस बच्चे के पास जाया करता हूं !


अभी-अभी पैरों ने धरती नापी है उसकी

लेकिन, पैरों में तेजी किसी परिंदे-सा है

ऐसे दौड़ता है मानो धरती पर वह जैसे,


कुछ उड़ानें शेष आसमां की बस बाकी है

सारी खुशियों को एक कोने में धरकर,

मैं उस बच्चे के पास जाया करता हूं !


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