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Rajkumar Jain rajan

Drama

4.5  

Rajkumar Jain rajan

Drama

मानो या न मानो

मानो या न मानो

1 min
573


कैसे अब मैं तुम्हें बताऊं

जीवन की एक बात

जब मैं होता बहुत अकेला

हर पल आती तेरी याद


सींचता रहा मैं हर पल

जीवन की बगिया को

प्यार भरी यादों से

सुख रहा तन, 

मन भी पतझड़ बना


तड़प रहा हूँ मैं

गर्म रेत -सा 

तेरी खातिर

जबसे तुमसे दूर हुआ

मानो या न मानो प्रिये 

कैसे मन की बात बताऊं

आस का फिर दीप जलाकर

चल पड़ा हूँ फिर सफर में


फिर से अगर साथ मिल जाये

बनकर हृदय के द्वार में

इस दुनिया से लड़ जाऊंगा

फिर मरुस्थल में


प्यार की गंगा बहाऊंगा

तुम मानो या न मानो

वक्त लौटकर फिर आएगा

आस का दीपक जलाकर

चल पड़ा हूँ राह में।


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