बुढ़ापा
बुढ़ापा
बहू-बेटों की नींद में, खलल न पड़ जाए कहीं
अब रात में, बीमारी में, खांसने से भी डरते हैं।
घर में टूटी चारपाई, मरम्मत होने वाली है
टूटी चारपाई पर बूढ़ी, किस्मत सोने वाली है।
किस्मत के भरोसे जैसे, निकले भरोसे बेटों के
भारी पड़े भरोसे हम पर, इस उम्र में बेटों के।
इस उम्र में बेटों के, बेटों संग खेला करते हैं
करके दूर पोतों को, बेटे हमें अकेला करते हैं।
सुना है बेटों को बोझ लगने लगा हूं अब
लगता है नजदीक ही है बुढ़ापा आने को।