डुबा डुबा सा रहता हूँ
डुबा डुबा सा रहता हूँ
डुबा डुबा सा रहता हूँ,
तेरे नयनों के सागर में।
खोया खोया सा रहता हूँ,
तेरे यादों के साहिल में।
फिका फिका सा रहता हूँ,
तेरे बगैर जीवन में।
डुबा डुबा सा रहता हूँ,
तेरे नयनों के सागर में।
वीरान आंगन को निहारता हूँ,
रंग भरे थे जो तूने आंगन में।
खुशियों से खेला करता हूँ,
तेरे आंचल के छांव में।
डुबा डुबा सा रहता हूँ,
तेरे नयनों के सागर में।
बार बार तेरी तस्वीर देखता हूँ,
साथ नहीं तुम मेरी महफ़िल में।
झूठे झूठे सपने देखता हूँ,
तुम नहीं मेरी बांहों में।
डुबा डुबा सा रहता हूँ,
तेरे नयनों के सागर में।

