मैं और रंग
मैं और रंग
रंगों की ताक पर हुआ जो तेरा स्पर्श है
मोहब्बत की रंगीन वादियों में खुद को पाया है।
मैं बनकर रंगों का बादल तूझ पर बरसूँगा,
इंद्रधनुषी छटा तेरे सफेद वसन पर खिला है।
फागुन में तुमसे मिलन को मन आतुर है,
राधे कृष्ण के भाती करनी तुमसे अठखेली है।
तुम्हारे मुख पर पहली छाप मेरे रंगों से होनी है,
तुम्हारे हाथों से बनी पहली गुजिया मुझे खानी है।
तेरे प्यार का रंग मेरे गालों पर आज भी लगा है,
तेरे प्रेम के भांग का नशा आज भी चढ़ा है।
लाल, हरा, नीला, गुलाबी हर रंगों से लगाऊँगा,
तुमसे मिलने के लिए कुछ भी बन जाऊँगा।
रंगों की ताक पर हुआ जो तेरा स्पर्श है
मोहब्बत की रंगीन वादियों में खुद को पाया है।

