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Gagandeep Singh Bharara

Abstract Drama Inspirational

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Gagandeep Singh Bharara

Abstract Drama Inspirational

गमों की छांव में

गमों की छांव में

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गमों की छांव में कहीं हम बैठे थे,

यूँ ही, ना जाने किस इंतजार में,


खुशियों को पाने की कोई चाह थी, 

या बस, गमों से बचने की बेचैनी सी,


दिल में कहीं कोई खौफ पनप रहा था,

या शायद, किसी के आने की आहट थी,


गुज़रता वक्त मानो कहीं थम सा गया हो,

या फिर, धीरे से की गई कोई दरख्वास्त थी,


तन्हाई भी अब बेपरवाह हो चली थी,

या कहीं, किसी राहगीर की चाहत थी,


गमों की छांव में कहीं हम बैठे थे,

यूँ ही, ना जाने किस इंतजार में??


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