मां ने ही फेंक दिया
मां ने ही फेंक दिया
आंख में क्या हुआ,मेरे ट्यूमर,
मां ने ही फेंक दिया,जा तू मर
मैं तो छोटी सी तितली धूल हूं
बोल न सकती,बच्ची मजबूर
मुझे,फेंक दिया,चट्टान ऊपर
क्या बच्ची होना,जुर्म है,सर
उदयपुरवाटी का है,मेरा घर
मां ने ही फेंक दिया,जा तू मर
न पाल सकते,क्यों किया पैदा,
इससे अच्छा था,खुदा का घर
बहुत-बहुत आभार,कमलेशी,
तू है,एक दयालु महिला,निड़र
दो लड़की पहले होकर भी तू
मुझे भी रहने को दे रही,घर
क्या खुदा यही है,मेरा मुकद्दर?
क्या यूँही फेंकेगे,चट्टान ऊपर?
जिसने फेंका फूल पर पत्थर
उसे भी दे सजा,रब,तू जी भर
जो इंसान होकर,बना जानवर
उस पर बरसा कहर,दरिया भर।
