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Harish Bhatt

Tragedy

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Harish Bhatt

Tragedy

अकेला

अकेला

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मैंने समझा जिसको अपना,

निकला वो बेगाना।

जिंदगी के सफर पर

अकेला ही चलना पड़ रहा है,

दिल में उसकी यादें लिए,

जिसको निभाना था साथ मेरा

हर बात का होती है एक वजह

बेवजह नहीं होती कोई बात

बस यही बात सोचता हूं जब

तब याद आती है पुरानी बातें

कभी अपने अहम के कारण

नहीं दिया था उसको मान

जरूरत थी जब उसको मेरी

प्रकृति का नियम है परिवर्तन

समय के साथ बदली परिस्थितियां

सोच बदली और इतनी बदली

कि वो भी बदल गया

उसको भी मिल गया सहारा

और फिर मैं रह गया अकेला

अब समझ में आता है अब किसको दूं दोष

कभी मैंने न समझा उसको

और कभी उसने न समझा मुझे

बस अब यूं ही चला जा रहा हूं

तन्हा, अकेला, जिंदगी के रास्ते पर


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